12 January 2024

अगर कोई पत्नी अपने पति को बहुत ज्यादा दुखी और परेशान करती है, तो पति के लिए कौन से कानून हैं? जाने

एक नामी वकील का सटीक जवाब - जब कोई पत्नी अपने पति को बहुत ज्यादा दुखी और परेशान करती है, तो पति के लिए कौन से कानून हैं? जाने

शपथपूर्वक कहता हूँ कि मेरे ज्ञान में इतने खराब हालत में पतियों के केस है कि कोई विश्वास भी नही करेगा कि कोई पति भी इतना पीड़ित हो सकता है क्या।

यू तो समाज एक मर्द को बलशाली मानता है और ये मानकर चलता है कि औरत या पत्नी उसपर जुल्म नही कर सकती, परंतु एक वकील होने के नाते आपको बता दूँ की मर्द को भी दर्द होता है और बड़े पैमाने पर ऐसे केसेस आ रहे है जहाँ मर्दों को भी घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।

अब कानून का जहाँ तक सवाल है तो सरकारें मर्द फ़िल्म के उस
डायलॉग को सच मानकर चलती है कि "मर्द को दर्द नही होता" इसलिए पीड़ित हमेशा महिला को ही माना जाता है तथा मर्दों के ऊपर हो रहे जुल्म ओ सितम पर कोई कानून नही लाती।

इसलिए मर्दों को कानूनन कोई अधिकार नही दिए गए और वो जुल्म सहने को मजबूर है।

अब यदि ईमानदारी से देखा जाए तो जो कानून महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए बनाए गए थे। अब उन्ही कानूनों के डर तले दबाकर एक पति की मर्दानगी को मसलकर उसको प्रताड़ित किया जा रहा है।

एक सच्चे केस का किस्सा आपको बताना चाहता हूँ कि कैसे एक मर्द की ममता उसकी मर्दानगी को मारकर जुल्म सहने को मजबूर कर देती है।

इस केस में एक ऊंची पोस्ट और तनख्वाह पर काम करने वाले मेरे क्लाइंट की पत्नी का किसी अन्य मर्द से अवैध संबंध था।

इन दोनों दंपति के 2 मासूम बेटियाँ भी थी और पति महोदय बेटियों से बेहद मोहब्बत करते थे।

इस केस में स्थिति यहाँ तक थी कि पत्नी अपने प्रेमी को घर बुलाकर पति के घर मे रहते हुए भी प्रेमी से अवैध संबंध बनाती थी और पीड़ित पति चाहकर भी कुछ नही कर पाते थे।

आप सोचेंगे कि ऐसी भी क्या मजबूरी थी पति की ?

मजबूरी थी पत्नी द्वारा दी गई धमकी।

पति को जब पत्नी के अवैध संबंधों के बारे में पता चला तो उन्होंने

विरोध किया, इसपर पत्नी दोनों मासूम लड़कियों को लेकर अपने मायके चली गई।

पति क्योंकि बेटियों से अपनी जान से भी बढ़कर प्यार करते थे इस कारण उन्होंने ही पहल करके पत्नी को बेटियों के कारण घर वापस बुला लिया।

अब पति जब भी पत्नी को कुछ कहते या किसी गलत बात के लिए टोकते तो पत्नी प्रेमी संग दूसरे राज्य बेटियों समेत चले जाने की धमकी के साथ ही झूठे मुकदमे करने की धमकी देते हुए उनको प्रताड़ित करती।

पति एक मर्द होते हुए भी एक गुलाम की तरह अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर थे और अब पत्नी उनके साथ गाली-गलौच के साथ ही मारपीट करती तथा अपने प्रेमी के साथ मिलकर बेइज़्ज़त करती रहती थी।

पति महोदय सब जुल्म अपनी बेटियों को किसी भी तरह अपने पास रखने के लिए सहते रहते थे।

अब पत्नी जुल्म के साथ ही उनसे 70 लाख रुपये और एक फ्लैट की डिमांड भी करने लगी और डिमांड ना पूरी होने पर बच्चो को अपने प्रेमी के साथ दूसरे स्टेट में ले जाने की धमकी भी दी।

अब क्योंकि कोई चारा नही बचा था तो उन्होंने वकीलों से सलाह लेना शुरू किया।

वकीलों ने उनको तलाक की सलाह दी, किसी ने उनको बच्चो की कस्टडी तथा बच्चो को स्टेट से बाहर ले जाने से रोकने के लिए अदालत से निषेधाज्ञा लेने की सलाह दी।

हमने उनके केस को अच्छे से समझा और उनको सलाह दी कि अभी आप तुरंत कुछ मत कीजिये।

उन्होंने हमारी सलाहनुसार तीन महीने तक पत्नी के द्वारा किये जा रहे व्यभिचार के सबूत जमा किये और हमसे मिले और पूछा कि वकील साहब बुरा मत मानियेगा अगर पत्नी दूसरे पुरुष से संबंध भी रख रही है तो भी वो बच्चो को तो कभी भी घर से ले जा सकती है ना ?

अब यदि हम कोर्ट जाते भी है तो उसके खिलाफ अवैध संबंध साबित करने और फिर तलाक तथा बच्चो की कस्टडी का मामला डिसाइड होने में तो सालों का समय लगेगा।

ऐसे में मेरी बेटियों से मुझे दूर रहना होगा ये मैं नही सह सकता। इसका क्या उपाय है ?

हमने कहाँ आपको सम्मानित वकीलों ने सही कहा कि बच्चो को रोकने के लिए आपको कोर्ट आर्डर की तथा कस्टडी के लिए केस जीतने की जरूरत होती है, परंतु ऐसा जब ही होगा न जब आप अपनी पत्नी से बेटियों को पाने का केस कोर्ट में करें ?

वो बोले मैं समझा नही। हमने कहा कि आप भी तो पिता है, आप भी माता की ही तरह नेचुरल गार्जियन है बच्चियों के।

अब यदि आप बच्चियों की कस्टडी रख लेते है तो बच्चियों को पाने की कानूनी प्रक्रिया आपकी पत्नी को करनी होगी तथा जब तक वो केस नही जीत लेती कस्टडी आपके ही पास रहेगी।

अब वो मुस्कुराने लगे, और कुछ समय बाद उन्होंने अपने फ्लैट को बेच दिया और पत्नी को भरोसा दिलाया कि इस पैसे से वो उसको 70 लाख और एक फ्लैट लेकर देंगे।

अब किराए के मकान में रहते हुए अचानक उन्होंने पत्नी को बिना बताए अपनी दोनो बेटियों के साथ अलग सोसाइटी में किराए पर दूसरा फ्लैट लेकर रहना शुरू कर दिया।

पत्नी, पति को ढूंढते हुए उनकी सोसाइटी पर पहुँची तो उन्होंने उसको घुसने से मना करवा दिया।

पत्नी ने पुलिस बुला ली तो हम भी मौके पर पहुँच गए, पुलिस को थोड़ा सम्मान के साथ ठंडा पिलाया तो पुलिस ठंडी हो गई।

पुलिस को तलाक के कागज़ तथा कुछ पत्नी के व्यभिचार के सबूत दिखाकर बताया गया कि बच्चियों के विषय मे आपको कोई अधिकार नही है। पत्नी चाहे तो अदालत में केस कर सकती है।

पुलिस का केस अभी कोई बनता नही था और पुलिस सम्मान भी ले चुकी थी तो वो वापस लौट गई।

अब पत्नी ने घरेलू हिंसा, दहेज, क्रूरता, तथा चाइल्ड कस्टडी समेत जाने क्या-क्या केस डाले, परंतु क्योंकि पत्नी जारता यानी व्यभिचार कर रही थी और इस बात के हमारे पास सभी सबूत भी मौजूद थे, इस कारण अदालत में पत्नी की कोई सुनवाई नही हुई। तथा पति को सभी मामलों में जमानत भी आसानी से मिल गई।

पत्नी कोई कार्यवाही ना होने से निराश हो गई और 2 साल बाद ही समझौते को तैयार हो गई जिसमें उसने बच्चियों की कस्टडी पति को दी तथा कुछ पैसे लेकर पति को तलाक देकर आज़ाद कर दिया।

तो हमे इस घटना से शिक्षा मिलती है कि जो कानून पत्नी के पक्ष के है वो ही कानून आपके पक्ष में भी खड़े हो सकते है, बस जरूरत है समस्या को समझने की और उसके हल को ढूंढने की।

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