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02 August 2025

India Tech Mission: दुनिया भारत के मस्तिष्क से चल रही है, भारत को अब अपने मस्तिष्क को वतन की सेवा में पुनः समर्पित करवाने की योजना बनानी चाहिए।

"टेक टैलेंट की घर वापसी: भारत का अगला राष्ट्र निर्माण अभियान"

लेखक: हृदेश तिवारी, रीवा मध्य पदेश
श्रेणी: राष्ट्रीय नीति, तकनीकी विकास, प्रतिभा वापसी मिशन


🔹 प्रस्तावना

21वीं सदी को ज्ञान और तकनीक की सदी कहा जा रहा है। भारत, जिसने विश्व को 'शून्य' दिया और आज 'चंद्रयान', 'कोविन', 'डिजिटल इंडिया' से लेकर 'यूएन में टॉप आईटी एक्सपर्ट्स' तक पहुंच बनाई है, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे अपने ही लोगों की शक्ति वापिस अपने घर बुलाने की आवश्यकता है।

दुनिया भारत के मस्तिष्क से चल रही है, लेकिन भारत को अब अपने मस्तिष्क को वतन की सेवा में पुनः समर्पित करवाने की योजना बनानी चाहिए।


🔹 मुद्दा: जब हमारे नायक बाहर हैं

  • गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोबी, IBM जैसे वैश्विक टेक दिग्गजों के सीईओ भारतीय हैं
  • दुनिया के लगभग 50 लाख से अधिक भारतीय आईटी पेशेवर विदेशों में काम कर रहे हैं
  • लाखों भारतीय वैज्ञानिक, AI विशेषज्ञ, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट विदेशी प्रयोगशालाओं में अग्रिम पंक्ति में हैं

तो सवाल उठता है — हमारे देश को इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत कब है? अब!


🔹 समाधान: "टेक टैलेंट वापसी मिशन – Bharat Tech Comeback Mission"

भारत सरकार यदि रक्षा बजट, अनावश्यक सब्सिडियों, और विदेशी हार्डवेयर पर खर्च के कुछ अंश को “Tech Comeback Mission” में निवेश करे तो क्या होगा?

इस मिशन के तहत किया जाए:

  • विदेशों में बसे भारतीय मूल के टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों को न्योता
  • उन्हें भारत में:
    • टैक्स छूट
    • सस्ती ज़मीन / Tech Towns
    • स्टार्टअप फंडिंग
    • शोध अनुदान (Research Grants)
    • Global Level Work Environment
  • एक "National Innovation & Return Talent Authority (NIRTA)" का गठन हो

🔹 संभावित प्रभाव

क्षेत्र परिणाम
🚀 इनोवेशन भारत में ही नए AI, Robotics, Space, Quantum जैसे इनोवेशन
💰 अर्थव्यवस्था हाई वैल्यू स्टार्टअप्स → रोज़गार → राजस्व वृद्धि
🧠 शिक्षा IITs और यूनिवर्सिटीज़ में उच्च स्तरीय फैकल्टी
🌍 वैश्विक छवि “विकासशील” से “वैश्विक तकनीकी नेतृत्व” की ओर भारत
🤝 आत्मनिर्भरता अमेरिका/चीन पर टेक निर्भरता में कमी

🔹 रक्षा बजट बनाम तकनीक बजट: टकराव नहीं, तालमेल

“सीमा की रक्षा हथियार से होती है, लेकिन राष्ट्र की आत्मा तकनीक और विचारों से।”

भारत को रक्षा के साथ-साथ "तकनीकी आत्मरक्षा" और "आर्थिक प्रतिरक्षा" की भी आवश्यकता है।
यदि रक्षा बजट का 5–10% हिस्सा (₹30,000–₹50,000 करोड़) इस मिशन में लगे, तो भारत को अगली सदी के लिए तैयार किया जा सकता है।


🔹 निष्कर्ष: अब नहीं तो कब?

जब देश के बेटे-बेटियां NASA, Google और Amazon चला सकते हैं, तो वो अपने भारत को क्यों नहीं?

भारत को अब सिर्फ जवानों की नहीं, ज्ञानियों की भी सेना तैयार करनी है।
सरकार को चाहिए कि वह इस "ब्रेनगैन" की ओर गंभीरता से बढ़े।


🔖 आह्वान

🙏 मैं भारत सरकार, नीति आयोग, शिक्षा मंत्रालय, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग से अपील करता हूं कि —
“Tech Talent की घर वापसी को राष्ट्र निर्माण मिशन का हिस्सा बनाया जाए।”

यह सिर्फ एक नीति नहीं, नई आज़ादी की शुरुआत होगी — आत्मनिर्भर तकनीकी भारत की।


✍️ यदि आप भी इस विचार का समर्थन करते हैं, तो इसे साझा करें, और सरकार तक पहुंचाएं। एक छोटी शुरुआत, बड़ा परिवर्तन ला सकती है।


📌 प्रस्तावित अभियान का नाम:

"भारत टेक मिशन 2030 – वतन लौटे प्रतिभा से विश्व गुरु तक"