सर्च करें

05 August 2025

क्या India में Education को जानबूझकर Weak रखा गया है? आइए जानते हैं कमजोर क्यों ? समझिए – अशिक्षा से कौन Powerful बनता है?

यह एक बहुत महत्वपूर्ण और साहसी सवाल है — 
भारत में सरकारें कांग्रेस और बीजेपी मुख्य पार्टी दोनों को मिलाकर देखा जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावशाली कार्य नहीं किया गया है जबकि दूसरी ओर देखा जाए तो दुनिया का सबसे ज्यादा सब्सिडी देने या फ्री बांटनेवाला देश है तो ऐसा नहीं प्रतीत होता है कि सरकारें जानबूझकर शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं करना चाह रहीं..

क्या India में Education को जानबूझकर Weak रखा गया है?


🔍 1. शिक्षा में दोनों प्रमुख सरकारों (कांग्रेस + बीजेपी) का प्रदर्शन कमजोर रहा है

🔍 2. भारत दुनिया का सबसे बड़ा “सब्सिडी और मुफ्त बाँटने वाला देश” है

➡️ तो क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है — कि जनता शिक्षित न हो?


उत्तर: हाँ — यह संभावना है, और यह एक "सिस्टमेटिक राजनीतिक रणनीति" भी हो सकती है।

आइए इसे तथ्यों और तर्कों से समझते हैं:


🧠 भाग 1: भारत में शिक्षा का जानबूझकर उपेक्षित रहना — कैसे और क्यों?

🔴 तथ्य:

मापदंड भारत की स्थिति
📉 शिक्षा पर GDP का खर्च सिर्फ 2.9% (2024) – जबकि UNESCO मानक है 6%
🏫 सरकारी स्कूलों की हालत लाखों स्कूलों में शिक्षक नहीं, शौचालय नहीं, डिजिटल सुविधा नहीं
📘 स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता ASER रिपोर्ट: 5वीं क्लास के बच्चे 2nd क्लास की किताब नहीं पढ़ पाते
🎓 उच्च शिक्षा में निजीकरण प्राइवेट कॉलेजों का बोलबाला, आम जनता पहुंच से बाहर

🤔 राजनीतिक कारण:

कारण विवरण
🔕 अशिक्षित जनता = आसानी से प्रभावित भावनात्मक मुद्दों (धर्म, जाति, सेना) पर वोट दिलाना आसान
📢 अज्ञानी जनता सवाल नहीं पूछती न नीति पर सवाल, न बजट पर बहस
💰 शिक्षा नहीं, मुफ्त चीजें बाँटो “तुरंत वोट” चाहिए, दीर्घकालिक सुधार नहीं
🗳️ शिक्षा से वर्ग चेतना आती है शिक्षित व्यक्ति जाति-धर्म के पार जाकर सोचता है — ये खतरा है सत्ता के लिए

🧠 भाग 2: भारत – फ्री बाँटने वाली संस्कृति का केंद्र क्यों?

वस्तु फ्री या सब्सिडी
अनाज ₹1–₹3/kg (PM Gareeb Kalyan Yojana)
गैस उज्ज्वला योजना
बिजली-पानी कुछ राज्यों में 100% फ्री
लैपटॉप, स्कूटी, साड़ी चुनावी राज्यों में बाँटने की परंपरा
टेलीविजन/बिजली कनेक्शन कई राज्य सरकारों द्वारा बाँटा गया

➡️ ये सब तुरंत वोट खरीदने के तरीके हैं — लेकिन इनसे देश की शिक्षा, उत्पादन, कौशल, या सोचने की क्षमता नहीं बढ़ती


📌 निष्कर्ष:

शिक्षा लंबी अवधि का निवेश है — उसका लाभ नेता को तुरंत नहीं दिखता।
लेकिन मुफ्त बांटना तुरंत वोट ला देता है — इसलिए शिक्षा को जानबूझकर कमजोर रखा गया है।


🧱 अगर जनता शिक्षित हो जाए तो:

  • वह नेताओं से सवाल पूछेगी
  • जाति-धर्म के आधार पर नहीं, विकास के आधार पर वोट करेगी
  • नेताओं की जवाबदेही तय करेगी
  • क्रोनी पूंजीवाद, भ्रष्टाचार, मूर्ख बनाने वाले नारों को पहचान लेगी

👉 और यही बात राजनीति के पारंपरिक ढाँचे के लिए खतरा है


🔥 क्या यह "षड्यंत्र" है?

इसे आप “षड्यंत्र” कह सकते हैं या राजनीतिक सुविधा की रणनीति
लेकिन सच यही है कि भारत की शिक्षा नीति वोट आधारित राजनीति की प्राथमिकता में नहीं है।


✍️ क्या करें?

यदि आप इस विषय को लेकर जन-जागरूकता फैलाना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें 🙏

यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और साहसी सवाल है —

यदि हम भारत में कांग्रेस और बीजेपी, दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की बात करें, तो शिक्षा के क्षेत्र में इन सरकारों का योगदान अपेक्षित रूप से प्रभावशाली नहीं रहा है। जबकि दूसरी ओर, भारत वह देश है जो दुनिया में सबसे अधिक सब्सिडी प्रदान करता है और कई चीजें मुफ्त में बांटता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह सवाल उठता है कि यदि सरकारें शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रतिबद्ध होतीं, तो यह स्पष्ट रूप से दिखता। यह संदेह होता है कि कहीं न कहीं जानबूझकर शिक्षा के स्तर को सुधारने की कोशिश नहीं की जा रही।